छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है

 



छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है


भोले भाले लोग ही जैसे, कहर बन जाते है 
छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है

ना पिछला भुलाया गया, ना अगला दिखाई देता है 
पल गुजर जाता है पर, इन्सान ठहर जाते है 

थंडी हवीये बहती थी तो मुफ्त हुआ करती थी,
अब खरीदनी है तो, एअर कंडिशन लग जाते है 

दिल से सोचनेवाले को सब पागल हि कहते  है 
प्यार छोडकर पागल, व्यवहार में लग जाते है 

शहर का होना ठीक है, तरक्की कि निशानी है,
पर घांसलें खो जाये तो परिंदे सहम जाते है 

Comments

Popular posts from this blog

ये इश्क, मुझे इश्क है तुमसे..

Radheshyam Ji Shraddhanjali

Satguru Babaji