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Showing posts from May 17, 2023

छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है

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  छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है भोले भाले लोग ही जैसे, कहर बन जाते है  छोटे छोटे गाव चुपकेसे, शहर बन जाते है ना पिछला भुलाया गया, ना अगला दिखाई देता है  पल गुजर जाता है पर, इन्सान ठहर जाते है  थंडी हवीये बहती थी तो मुफ्त हुआ करती थी, अब खरीदनी है तो, एअर कंडिशन लग जाते है  दिल से सोचनेवाले को सब पागल हि कहते  है  प्यार छोडकर पागल, व्यवहार में लग जाते है  शहर का होना ठीक है, तरक्की कि निशानी है, पर घांसलें खो जाये तो परिंदे सहम जाते है 

ये इश्क, मुझे इश्क है तुमसे..

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  ऐ  इश्क, मुझे इश्क है तुमसे.. पता नही कैसे, आन मिले  हो हमसे, ऐ  इश्क, मुझे इश्क है तुमसे..। तुम कुछ नैन नक्ष से सजे, इन्सानो जैसे, बनकर जो आये हो, ऐसे तो नही हो, पर फिर तुम कब  किसको समझ आये हो? और कयामत ये कि, अब मुझे भी तुमने कुछ तुम जैसा हि बना दिया है  मुझे भी नैन नक्ष,  कुछ हाथ पैर देकर, इन्सानो सा सजा दिया है हा.. इस शरीर के साजो सामान में, एक दिल धडकता है, थोडा अजीब है,  पर यही एक काम कि चीज है । जो हर धडकन पे तुम्हारा नाम लेता है, पर सरेआम तुम्हारा होने का पैगाम देता है  इस दिल को सम्भाले हुए मै तुम्हे देखती हू, मै तुम्हे देखती हू, और देखते हि रह जाती हू । अब इस दिल को सांभाले मए तुम्हे देखने, में इतनी मश्गूल हो जाती हू । एक तुम्हारा होने का काम छोडकर, कोई काम नही कर पाती हू । तुम सबकुछ करके भी, कुछ भी नही करते हो । अब तो मेरे अंदर, एक दरिया बनके बेहते हो । पर इस में एक  बात बडी खास है, तुम्हारा मेरा हो जाने का जो अहसास है अब शब्दो के बगैर भी तुम बहोत कुछ बोलते हो , अपनी राज-ए-हाकिकी होले होले खोलते हो, साजन तुम सोणे हो, सजे र...