Satguru Babaji



आप तो विरासत में छोड़ गए हो,

प्यार की यह बेशुमार दौलत,

और खर्चने के लिए दे गए हो,

बस चंद सांसों की मोहलत।

अब सोचती हुं की,

लूटाऊं तो कैसे लूटाऊं ?

छुपाऊं तो कैसे छुपाऊं?

आप बस मुस्कुरा मुस्करा कर, 

देख लेते थे मुझे एक नज़र,

और इबादत के उस नशे का, 

अब तक छाया है गहरा असर ।

मै अमीर हो गयी थी.. 

घर भर गया था,

शब्दों, नज्मों और गजलों से ।

कुछ फरिश्ते अर्श से फरार हो कर,

मेरे घर के फर्श पे बैठने लगे हैं ।

आपके यार थे,

मेरे भी यार हो गये हैं ।  

आज भी जब हम आपके,

दौर की सैर पर निकलते हैं...

तो हम ही पोछ देते हैं,

इक दुसरे के आपकी

याद में बहे आंसू ।

क्योंकी पता है, 

हमारे आंसुओं सें,

सबसे ज्यादा तकलीफ,

आपको ही होती थी ।

फिर हम.. 

आँखो से बहते हुए आंसूओं को,

आपकी यादों के मोती बनाकर,

आपने ही दिये हुए प्यार के,

धागे मी पिरोकर,

दिल की तिजोरी में,

महफ़ूज रख देते हैं ।

अपनी अमीरी पे, 

आज भी नाज़ कर इतरा लेते हैं । 

क्योंकी, कल तुम पिता हुआ करते थे,

आज तुम माता बने हुए हो।

बिखर ही जाते हम,

पर तुम समेटे हुए हो ।

पर आप की जरूरत, 

कल भी थी, 

आज भी है और ताउम्र रहेगी l

इश्क की  साझेदारी,

कल भी थी, 

आज भी है और ताउम्र रहेगी l


अमृता

Comments

Popular posts from this blog

ये इश्क, मुझे इश्क है तुमसे..

Radheshyam Ji Shraddhanjali