आप तो विरासत में छोड़ गए हो, प्यार की यह बेशुमार दौलत, और खर्चने के लिए दे गए हो, बस चंद सांसों की मोहलत। अब सोचती हुं की, लूटाऊं तो कैसे लूटाऊं ? छुपाऊं तो कैसे छुपाऊं? आप बस मुस्कुरा मुस्करा कर, देख लेते थे मुझे एक नज़र, और इबादत के उस नशे का, अब तक छाया है गहरा असर । मै अमीर हो गयी थी.. घर भर गया था, शब्दों, नज्मों और गजलों से । कुछ फरिश्ते अर्श से फरार हो कर, मेरे घर के फर्श पे बैठने लगे हैं । आपके यार थे, मेरे भी यार हो गये हैं । आज भी जब हम आपके, दौर की सैर पर निकलते हैं... तो हम ही पोछ देते हैं, इक दुसरे के आपकी याद में बहे आंसू । क्योंकी पता है, हमारे आंसुओं सें, सबसे ज्यादा तकलीफ, आपको ही होती थी । फिर हम.. आँखो से बहते हुए आंसूओं को, आपकी यादों के मोती बनाकर, आपने ही दिये हुए प्यार के, धागे मी पिरोकर, दिल की तिजोरी में, महफ़ूज रख देते हैं । अपनी अमीरी पे, आज भी नाज़ कर इतरा लेते हैं । क्योंकी, कल तुम पिता हुआ करते थे, आज तुम माता बने हुए हो। बिखर ही जाते हम, पर तुम समेटे हुए हो । पर आप की जरूरत, कल भी थी, आज भी है और...
Acha hai ji
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