कुछ यु भेजना, मुझे तुम कविता,



कुछ यु भेजना, मुझे तुम कविता,

तुम मै और कविता एक ही हो,

कुछ यु बहना तुम मेरे अंदर,

तुम कहना चाहो और लफ्ज कहे 

कविता लेकर चले किसी और दुनिया मे जहा,

ना आज का गम हो, ना कल की फ़िक्र । 

कलम उतरे जब स्याही को लेकर कागज पर

तुम्हारी आरजू हो, और तुम्हारा ही  जिक्र। 

वक़्त यही जाये ठहर, उम्र युही जाये गुजर,

मेरी हर साँस सांस पर, तेरा ही तेरा हो असर । 

ज़िन्दगी बीते मेरी यु जैसी हो कविता, 

जब मुकम्मल हो, तू दाद दे और वाह कहे। 

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